सिर्फ 90 दिनों में इस सब्जी की खेती से कमाएं 2 लाख, जानिए पूरी खेती की जानकारी

By RTM Hindi News

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अगर आप खेती में तेजी से मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो सेम की Jawahar Sem-53 किस्मत आपकी बदल सकती है। यह सिर्फ 90 दिनों में तैयार हो जाती है और बाजार में इसकी भारी डिमांड रहती है। किसानों को इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 140-150 क्विंटल उपज मिलती है, जिससे वे करीब ₹2 लाख तक कमा सकते हैं। इस किस्म की खासियत यह है कि यह जल्दी पकती है, अच्छी गुणवत्ता देती है और सिंचाई की भी कम आवश्यकता होती है। यदि सही तकनीक और समय पर खेती की जाए, तो यह किस्म कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा देती है। आइए जानते हैं इस फायदे की खेती के हर जरूरी पहलू को – मिट्टी से लेकर मार्केटिंग तक की पूरी जानकारी।

Jawahar Sem-53: कम समय में ज्यादा फायदा देने वाली किस्म

Jawahar Sem-53 एक ऐसी उन्नत किस्म है जो विशेष रूप से जल्दी पकने और अधिक उपज देने के लिए जानी जाती है। English में इसे “High-yielding short-duration bean variety” कहा जा सकता है। यह किस्म किसानों को कम समय में बेहतरीन मुनाफा देती है, साथ ही इसकी फसल 90 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी फलियों का रंग, स्वाद और आकार बाजार के अनुकूल होता है, जिससे बिक्री में कोई परेशानी नहीं होती।

मिट्टी, तापमान और बुवाई की सबसे जरूरी जानकारी

इस सेम की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या रेतीली मिट्टी (Loamy or sandy soil) सबसे उपयुक्त होती है। खेत की पहली गहरी जुताई के बाद गोबर की खाद डालना जरूरी है ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे। बुवाई के लिए अक्टूबर से नवंबर का समय सबसे अच्छा माना जाता है। तापमान 15°C से 22°C तक इस किस्म के लिए आदर्श है। बीज आसानी से बाजार में या कृषि केंद्रों से मिल सकते हैं।

पैदावार और कमाई की गणना जानिए आसान भाषा में

Jawahar Sem-53 सेम की किस्म प्रति हेक्टेयर करीब 140-150 क्विंटल उपज देती है। यदि बाजार में ₹13–₹15 प्रति किलो का भाव मिल जाए तो किसान आसानी से ₹1.8 लाख से ₹2 लाख की कमाई कर सकते हैं। खेती में लागत भी ज्यादा नहीं आती, क्योंकि इस किस्म को ज्यादा खाद और पानी की आवश्यकता नहीं होती। यह खेती छोटे किसानों के लिए भी मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है।


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फसल की देखभाल और रोगों से कैसे करें सुरक्षा

इस किस्म के पौधों में सामान्यतः रोगों का प्रभाव कम देखा जाता है, लेकिन फिर भी पत्ती झुलसा रोग और फल सड़न से सावधान रहना जरूरी है। जैविक कीटनाशकों और नीम तेल का छिड़काव करना सबसे बेहतर उपाय है। हर 15 दिन में खेत की निगरानी करें और खरपतवार को हटा दें। एक बार फूल आने लगें तो सिंचाई का विशेष ध्यान रखें। इससे फलियाँ बेहतर विकसित होंगी।

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