अब वक्त आ गया है अपनी बालकनी या छत को छोटा-सा किचन गार्डन बनाने का। और शुरुआत करें परवल से – वो भी बिना खेत के! जी हां, बाजार के केमिकल वाले परवल को छोड़कर अब आप इसे छोटे गमले में घर पर उगा सकते हैं। स्वाद, सेहत और संतोष – तीनों का कॉम्बो मिलेगा आपको एक ही जगह। परवल न सिर्फ आपकी थाली को रंगीन बनाता है, बल्कि यह आयरन, फाइबर और विटामिन्स से भरपूर होता है। गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने से लेकर पाचन सुधारने तक, इसके फायदे कमाल के हैं। इस लेख में जानिए – कैसे आप बिना मिट्टी वाले खेत के, सिर्फ एक गमले में परवल उगाकर शुद्धता और सेहत दोनों का मज़ा ले सकते हैं। Urban Gardening का ये देसी तरीका आपका दिल जीत लेगा!
परवल उगाने के लिए गमले का सही चयन करें

परवल की जड़ों को फैलने के लिए थोड़ी गहराई चाहिए। इसलिए कम से कम 12 से 16 इंच गहरा गमला चुनें। प्लास्टिक, मिट्टी या सीमेंट का गमला – कोई भी चलेगा, बस उसमें पानी निकासी का छेद जरूर हो। गमले की मिट्टी में 30% गोबर की खाद, 40% मिट्टी और 30% रेत मिलाकर भरें। इससे पौधे को पोषण भी मिलेगा और नमी भी बनी रहेगी।
बीज या कटिंग से उगाएं परवल का पौधा
अगर परवल के बीज मिल जाएं तो बढ़िया, नहीं तो घर के परवल को काटें और बीज निकालकर 2 दिन छाया में सुखाएं। इन बीजों को गमले में 1 इंच गहराई में बो दें। पानी हल्का ही दें और गमले को ऐसी जगह रखें जहां 5-6 घंटे धूप मिलती हो। 10 दिन में अंकुर फूटेंगे और आपका देसी परवल तैयार होने लगेगा।
बेल को सहारा देना जरूरी है वरना फैल नहीं पाएगी
परवल बेल पर उगता है, इसलिए जैसे ही पौधा 8–10 इंच हो जाए, उसमें बांस या रॉड लगाकर सहारा दें। बेल को ऊपर चढ़ने में मदद करें। इससे बेल ज्यादा फैलेगी, ज्यादा फूल और फल देगा। आप चाहें तो नेट भी लगा सकते हैं ताकि बेल हवा में फैले।
घर में उगाए परवल के सेहत से जुड़े जबरदस्त फायदे
परवल में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स की भरमार होती है। ये पाचन तंत्र को मजबूत करता है, शरीर को डिटॉक्स करता है और डायबिटीज़ मरीजों के लिए वरदान है। गर्मियों में इसके सेवन से शरीर में ठंडक बनी रहती है और वजन भी कंट्रोल में रहता है।
कटाई का सही समय जान लें वरना स्वाद बिगड़ सकता है
बीज बोने के करीब 2 महीने बाद परवल तैयार होने लगता है। जब फल 3–5 इंच का हो और हल्का हरा दिखे, तभी तोड़ें। ज्यादा देर करने से परवल सख्त और कम स्वादिष्ट हो जाता है। हर 3–4 दिन में कटाई करने से बेल में और फल आते हैं।
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