चांदी की कीमत हर दिन बदलती रहती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कीमत आखिर तय कैसे होती है? Silver की कीमत सिर्फ उसकी चमक या खूबसूरती पर नहीं, बल्कि कई आर्थिक और मार्केट फैक्टर्स पर निर्भर करती है। Demand और Supply, Global Market, Currency Rate, और Industrial Use जैसे कारक इस पर गहरा असर डालते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको चांदी की कीमत तय होने के पीछे के मुख्य कारणों को सरल भाषा में बताएंगे ताकि आप समझ सकें कि आखिर क्यों कभी चांदी सस्ती होती है और कभी महंगी। अगर आप चांदी में निवेश करना चाहते हैं या गहने खरीदना चाहते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगी।
डिमांड और सप्लाई का असर
चांदी की कीमत तय होने में सबसे बड़ा रोल Demand और Supply का होता है। जब चांदी की मांग बढ़ती है और सप्लाई कम होती है, तो कीमतें ऊपर जाती हैं। इसके उलट, सप्लाई ज्यादा और मांग कम होने पर कीमत गिरती है। यह Basic Economic Rule मार्केट में हर Commodity पर लागू होता है।
ग्लोबल मार्केट और एक्सचेंज रेट
चांदी की कीमत ग्लोबल मार्केट पर भी निर्भर करती है। Dollar की value, International trade policies, और अन्य देशों की Demand इसे प्रभावित करती हैं। अगर Dollar मजबूत होता है तो चांदी महंगी हो सकती है क्योंकि चांदी डॉलर में ट्रेड होती है।
औद्योगिक उपयोग और निवेश

Silver का Industrial use बढ़ने से इसकी मांग बढ़ती है, जिससे कीमतें ऊपर जाती हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल, और फोटोग्राफी जैसे सेक्टर्स में चांदी की जरूरत होती है। इसके साथ ही निवेशक भी जब चांदी खरीदते हैं, तो इसका असर कीमत पर पड़ता है।
सरकारी नीतियां और कराधान
सरकार की Import-Export Policies और Taxes भी चांदी की कीमत पर असर डालते हैं। जब सरकार Import duties बढ़ाती है, तो चांदी महंगी हो जाती है। इसी तरह GST और अन्य नियम भी मार्केट कीमत को प्रभावित करते हैं।
स्थानीय मार्केट की भूमिका
भारत जैसे देश में स्थानीय हब जैसे मुंबई, जयपुर, और दिल्ली की मार्केट भी कीमत तय करने में महत्वपूर्ण हैं। यहाँ चांदी के भाव fluctuate होते हैं, जो देश के बाकी हिस्सों पर असर डालते हैं।
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