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मेड हायर करने से पहले ये 10 बातें जान लें, वरना बच्चे की सेफ्टी खतरे में

By RTM Hindi News

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वर्किंग पेरेंट्स के लिए बच्चों की देखभाल आज सबसे बड़ी चिंता बन गई है। सुबह ऑफिस के लिए भागदौड़, दिनभर की मीटिंग्स और काम का दबाव — इन सबके बीच दिल बस यही सोचता है कि घर पर बच्चा ठीक है या नहीं। हर माता-पिता यही चाहते हैं कि जब वे घर से बाहर हों, तो उनके बच्चे को वो प्यार, सुरक्षा और देखभाल मिले जिसकी वो हकदार है। ऐसे में नैनी या मेड को हायर करना एक जरूरत बन जाती है, लेकिन साथ ही मन में डर भी बना रहता है — “क्या हमने सही व्यक्ति को चुना?”

आजकल जिस तरह से बच्चों से जुड़े संवेदनशील मामले सामने आते हैं, वो हर मां-बाप को सोचने पर मजबूर कर देते हैं। इसलिए मेड को सिर्फ एक सहायक नहीं, बल्कि अपने बच्चे का भरोसेमंद साथी मानकर चुनना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं वे 10 बेहद अहम बातें, जिन्हें ध्यान में रखकर आप न केवल एक सही मेड चुन सकते हैं, बल्कि अपने बच्चे की सुरक्षा और खुशी दोनों सुनिश्चित कर सकते हैं।

1. मेड की पर्सनल और फैमिली डिटेल की पूरी जांच जरूर करें

जब भी आप किसी मेड को अपने बच्चे की देखभाल के लिए हायर करने का सोचें, सबसे पहले उसकी पर्सनल डिटेल और फैमिली बैकग्राउंड अच्छे से चेक करें। उसका नाम, पता, आधार कार्ड नंबर, मोबाइल नंबर और जहां वह पहले काम कर चुकी है, उन लोगों से फीडबैक लेना जरूरी है। आजकल कई बार फर्जी आईडी बनाकर लोग काम करने लगते हैं, जिससे परेशानी हो सकती है। अगर संभव हो तो पुलिस वेरिफिकेशन जरूर करवाएं। इससे आपको मानसिक शांति मिलेगी और किसी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए पहले से तैयारी हो जाएगी।

2. पहले हफ्ते मेड के साथ रहें और उसके व्यवहार को समझें

अक्सर देखा जाता है कि मेड आपके सामने बहुत अच्छा व्यवहार करती है, लेकिन जब आप मौजूद नहीं होते तो उनका रवैया बदल जाता है। इसलिए शुरुआती एक-दो हफ्तों में मेड के साथ घर पर रहें और बच्चे के साथ उसके व्यवहार पर ध्यान दें। देखें कि वह कितनी पेशेंस के साथ काम करती है, गुस्सा तो नहीं करती, बच्चे के सवालों पर कैसे रिएक्ट करती है। ये छोटी-छोटी बातें भविष्य में आपके लिए बहुत बड़ी राहत बन सकती हैं।

3. बच्चे से हर दिन पूछें कि मेड ने क्या-क्या किया

अगर बच्चा बोलने की स्थिति में है तो मेड के साथ बिताए समय के बारे में रोजाना उससे बातचीत करें। पूछें कि उन्होंने दिनभर में क्या किया, क्या खाया, कौन-कौन से गेम खेले। इस तरह की बातों से आप जान पाएंगे कि मेड बच्चे के साथ कैसा बर्ताव कर रही है। अगर बच्चा मेड से डरता है या अनकंफर्टेबल लगता है, तो ये संकेत हैं कि कुछ गड़बड़ हो सकती है। छोटे बच्चों की बॉडी लैंग्वेज पर खास ध्यान दें।

4. कैमरे लगवाएं और कभी-कभी बिना बताए घर लौटें

आजकल टेक्नोलॉजी का उपयोग करके आप घर बैठे भी मेड की निगरानी कर सकते हैं। घर के अंदर CCTV कैमरे लगवाएं, खासकर उन जगहों पर जहां मेड और बच्चा ज्यादा समय बिताते हैं। लेकिन इस बात की जानकारी मेड को न दें कि आप उसकी निगरानी कर रहे हैं। इसके साथ ही कभी-कभी अचानक घर लौटकर देखें कि वह क्या कर रही है। यह तरीका मेड की ईमानदारी और व्यवहार को जांचने में मदद करेगा।

5. मेड को बच्चे के साथ अकेले बाहर न भेजें

बच्चे की सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए मेड को कभी भी बच्चे के साथ अकेले बाहर न भेजें, खासकर अगर मेड नई है। कई बार अनजाने में भी मेड किसी गलत व्यक्ति के संपर्क में आ सकती है। अगर बाहर जाना बहुत जरूरी हो तो आप या कोई भरोसेमंद व्यक्ति साथ जाए। धीरे-धीरे मेड पर भरोसा बना सकते हैं लेकिन शुरू में पूरी सावधानी जरूरी है।

6. मेड के हेल्थ और क्लीनलीनेस का रखें ध्यान

बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है, इसलिए मेड की साफ-सफाई और हेल्थ कंडीशन पर भी ध्यान देना जरूरी है। मेड को समय-समय पर हेल्थ चेकअप के लिए भेजें और सुनिश्चित करें कि उसके कपड़े, हाथ, और आदतें स्वच्छ हों। अगर मेड को किसी तरह की एलर्जी, इंफेक्शन या बीमारी है तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं और जरूरत पड़ने पर उसे छुट्टी दें।

7. मेड को स्पष्ट निर्देश दें कि क्या करना है और क्या नहीं

अक्सर मेड को यह स्पष्ट नहीं होता कि उसे क्या करना है और क्या नहीं। इससे गलतफहमियां पैदा होती हैं। इसलिए शुरुआत से ही एक लिस्ट बना लें और उसे बताएं कि किन चीज़ों की इजाजत है, जैसे टीवी कितनी देर चलाना है, बाहर खेलने जाना है या नहीं, क्या खिलाना है आदि। इससे मेड को भी काम करने में आसानी होगी और आप भी निश्चिंत रहेंगे।

8. मेड को बच्चे की भावनात्मक ज़रूरतों को समझने की ट्रेनिंग दें

बच्चे की देखभाल सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि भावनात्मक स्तर पर भी जरूरी होती है। मेड को यह सिखाएं कि बच्चे को कैसे प्यार देना है, कैसे उसे समझना है और कैसे उसकी छोटी-छोटी बातें सुननी हैं। एक अच्छी नैनी वही होती है जो सिर्फ खाना खिलाना या सुलाना नहीं, बल्कि बच्चे का मन भी समझे।

9. बच्चों को भी मेड से जुड़ी सावधानियों के बारे में बताएं

बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि वह भी मेड से किस तरह पेश आएं और किन चीज़ों को लेकर सतर्क रहें। जैसे अगर मेड गुस्सा करे या उन्हें डराए तो वे तुरंत आपको बताएं। बच्चों को ‘अच्छा छूना’ और ‘बुरा छूना’ जैसी बातें समझाएं ताकि वे किसी भी गलत व्यवहार की पहचान कर सकें।

10. मेड का हर महीने रिव्यू करें और फीडबैक लेते रहें

हर महीने मेड के काम का रिव्यू करें। यह देखें कि वह अपने काम में कितनी ईमानदारी दिखा रही है, समय पर आ रही है या नहीं, बच्चा उसके साथ खुश है या नहीं। पुराने काम की तुलना में बदलाव दिखें तो उन पर बात करें। जरूरत हो तो फीडबैक दें या बदलाव करें।


निष्कर्ष:

मेड हायर करना एक बड़ी जिम्मेदारी है, लेकिन अगर आप इन 10 बातों का ध्यान रखते हैं तो बच्चे की सुरक्षा और आपकी शांति दोनों सुनिश्चित हो सकती हैं। भरोसे से पहले जांच जरूरी है, क्योंकि बच्चे की सुरक्षा से बड़ा कोई मुद्दा नहीं होता।

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